गरीबी उन्मूलन एवं सामाजिक सुरक्षा
नालसा गरीबी उन्मूलन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विधिक सेवाऐं योजना, 2015 के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आज फिरोजपुर झिर्खा के अगोन में डालसा की पहल पर एक जनभागीदारी कार्यकर्म का आयोजन सहगल फौंडेशन, इम्पावर पीपुल लेबर डिपार्टमेंट, समाज कल्याण विभाग, महिला एवं बाल कल्याण विभाग तथा अन्य विभागों के सहयोग से किया गया! कार्यकर्म में विभिन्न विभागों ने अपने अपने विभाग से सम्बंधित स्टाल लगाये जहा कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान एवं रजिस्ट्रेशन किया गया! इस अवसर पर सी जे एम् श्री नरेन्द्र सिंह ने बताया की विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा (41) के अंतर्गत, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का दायित्व है कि वो लोगों के बीच विधिक जागरूकता एवं विधिक साक्षरता फैलाने के विषय में उचित उपाय करे एवं विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को समाज कल्याण अध्नियमों एवं अन्य विधियों व साथ ही साथ प्रशासनिक कार्यक्रम एवं उपायों के अंतर्गत दिए गए अधिकार, लाभ एवं विशेषाधिकार के विषय में जागरूक करें। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की भूमिका यह रेखांकित करती है कि विधिक सेवा संस्थाएं समाज के दुर्बल वर्ग से संबंध रखते है एवं उन पर ये सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी अधिरोपित करती है कि किसी भी नागरिक को उसकी आर्थिक या अन्य असमर्थताओं के कारण न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रहे। अधिकांश रूप से गरीबी उन्मूलन एवं सामाजिक सुरक्षा उपायों के आशयित लाभार्थी व्यक्ति,सामजिक संरचना के सख्त अभाव एवं आर्थिक पिछड़ेपन एवं शोषण एवं सामाजिक मूल्यों एवं सांस्कृतिक पद्धतियों, पक्षपात इत्यादि के कारणवश इनका लाभ नहीं ले पाते इसी सन्दर्भ में, विधिक सेवा प्राधिकरण की भूमिका अति सक्रिय होनी चाहिए कि गरीबी उन्मूलन हेतु परिकल्पना किये गए उपाय, आशयित लाभार्थियों के ध्यान में लाया जाए। आगे अपने अंतिम चरणों तक उपस्थिति के कारणवश विधिक सेवा प्राधिकरण ऐसे गरीबी उन्मूलन उपायों तक पहुँच को सरल बनाने हेतु अत्यधिक उचित है।
यह कार्यकर्म गरीबी उन्मूलन एवं सामाजिक सुरक्षा उपायों की पहचान हेतु एक प्रक्रिया है एवं आशयित लाभार्थियों द्वारा ऐसे उपायों तक पहुँच को सरल बनाने हेतु पद्धति प्रदान करती है तथा इन प्रतिक्रियाओं के प्रभावी पुनरीक्षण का तरीका बताती है। इस योजना की कल्पना करते समय ये ख्याल कि क्षेत्रीय भिन्नताएं एवं आवश्यकताएं हो सकतीं हैं को भी विशेष रूप से विचार में रखा गया है एवं पर्याप्त लचीलापन रखा गया है कि स्थानीय विधिक सहायता प्राधिकरण अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इस राष्ट्रीय योजना को लागू कर सके।
ये योजना इस आधार पर बनाई गई है कि गरीबी एक बहु-आयामी अनुभव है और केवल आय संबंधित समस्याओं तक सीमित नहीं होती है। बहु-आयामी गरीबी, स्वास्थ्य (मानसिक स्वास्थ्य को शामिल करते हुए) घर, आहार,रोजगार, पेंशन, मैत्रिक देख-रेख, शिशु-मरण, पानी, शिक्षा,सफाई, सहायता एवं मौलिक सेवाओं, सामाजिक निष्कासन, पक्षपात, इत्यादि जैसी समस्याओं को शामिल किये हुए हैं। आगे, राज्य एवं जिला स्तर पर विशेष योजनाओं को लागू करने हेतु पहचान करने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण से अपेक्षित है कि वो इस तथ्य का संज्ञान रखें कि भिन्न निर्बल एवं पिछड़े समूह गरीबी का अदभुत ढंग से अनुभव करते हैं।
एक दिवसीय कार्यकर्म में सी जी एम् नरेन्द्र सिंह के अलावा प्रोफ़ेसर अजय पाण्डेय डाक्टर शिप्रा माथुर, नवनीत नरवाल, श्री चाँद सिंह मुमताज़ इस्लामुद्दीन, इम्पावर पीपुल के सलीम खान के अलावा स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि एवं जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के छात्र छात्रा उपस्थित थे